धधकते अग्निवन के
चक्रव्यूह में समर्पित
देती रहीं प्रमाण
अपनी पवित्रता का
सीता,अहिल्या,द्रौपदी
गांधारी,कुंती,
और भी असंख्य हैं
आज भी
युगों से जूझ रही है
भोग रही
सृष्टि सृजनदात्री होने का दंड
आजीवन ली गयी
परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने पर
दिया गया है देवी का सम्मान
क्यों न ली गयी
कभी किसी पुरुष की
अग्निपरीक्षा?
पुरुष होने मात्र से ही
चारित्रिक धवलता
प्रमाणित है शायद
स्वयंसिद्ध।
-श्वेता सिन्हा