किरणों के बाल सुनहरे है
लुक छिप सूरज के पहरे है
लुक छिप सूरज के पहरे है
कलकल करती जलधाराएँ
बादल पर्वत पर ठहरे है
बादल पर्वत पर ठहरे है
धरती पे बिखरी रंगोली
सब इन्द्रधनुष के चेहरे है
सब इन्द्रधनुष के चेहरे है
रहती है अपने धुन में मगन
चिड़ियों के कान भी बहरे है
चिड़ियों के कान भी बहरे है
टिपटिप करती बूँदों से भरी
जो गरमी से सूखी नहरे है
जो गरमी से सूखी नहरे है
चुप होकर छूती तनमन को
उस हवा के राज़ भी गहरे है
उस हवा के राज़ भी गहरे है