Friday, 29 December 2017

नन्ही ख़्वाहिश


एक नन्ही ख़्वाहिश 
चाँदनी को अंजुरी में भरने की,
पिघलकर उंगलियों से टपकती
अंधेरे में ग़ुम होती 
चाँदनी देखकर
उदास रात के दामन में
पसरा है मातमी सन्नाटा 
ठंड़ी छत को छूकर सर्द किरणें
जगाती है बर्फीला एहसास
कुहासे जैसे घने बादलों का
काफिला आकर 
ठहरा है गलियों में
पीली रोशनी में
नम नीरवता पाँव पसारती
पल-पल गहराती
पत्तियों की ओट में मद्धिम
फीका सा चाँद
अपने अस्तित्व के लिए लड़ता
तन्हा रातभर भटकेगा 
कंपकपाती नरम रेशमी दुशाला 
 तन पर लिपटाये
मौसम की बेरूखी से सहमे
शबनमी सितारे उतरे हैं
फूलों के गालों पर
भींगी रात की भरी पलकें
सोचती है 
क्यूँ न बंद कर पायी
आँखों के पिटारे में
कतरनें चाँदनी की, 
अधूरी ख़्वाहिशें 
अक्सर बिखरकर 
रात के दामन में 
यही सवाल पूछती हैं।

17 comments:

  1. शुभ प्रभात सखी
    अधूरी ख़्वाहिशें
    अक्सर बिखरकर
    रात के दामन में
    यही सवाल पूछती हैं।
    वाह....
    बेहतरीन
    सादर

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  2. आभार दी आपका बहुत सारा:)
    सादर।

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  3. पिघलकर ऊंगलियों से टपकती चाँद को छू लेने की ख्वाहिश
    बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय श्वेता जी।

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    1. अत्यंत आभार आपका आदरणीय p.kji.
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  4. वाह...
    फीका चाँद..
    लड़ता है...
    अस्तित्व के लिए..
    सत्य है...
    साधुवाद...
    सादर...

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  5. फूलों के गालों पर
    भींगी रात की भरी पलकें
    सोचती है
    क्यूँ न बंद कर पायी
    आँखों के पिटारे में
    कतरनें चाँदनी की,
    अधूरी ख़्वाहिशें
    अक्सर बिखरकर
    रात के दामन में
    यही सवाल पूछती हैं।
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, स्वेता।

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  6. आपकी लिखी ये रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 31 दिसम्बर 2017
    को साझा की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  7. वाह ! कमाल का भाव प्रवाह ! प्रकृति में खो जाने वाले रचनाकार की अद्वुध प्रस्तुति ! दाद देता हूँ आप की कल्पना शक्ति का ! प्रकृति के साथ इतना अंतरंग साहचर्य ईश्वर प्रदत्त किसी उपहार से कम नहीं ! बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया ! बहुत खूब ।

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  8. वाह!! बहुत सुंदर कंपकंपाती नरम रेशमी दुशाला.......!!!!!

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  9. बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति श्वेता जी .

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  10. वाह!!श्वेता जी !!!बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति....
    फीका चाँद ,अस्तित्व की लडाई .....वाह!!
    बहुत उम्दा।।

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  11. "ठंडी छत को छू कर सर्द किरणें जगाती हे नये अहसास.... कमाल की पंक्तियां .. प्रकृति संग शब्दों की अठखेलियां खुब आती है आपको..."नम नीरवता पांव पसारे.. बहुत खूबसूरत लिखा आपने... अग्रिम शुभकामनाएं... नववर्ष की..।। आनेवाले साल भी आपकी रचनाएं चहुंओर जगमगाते रहें।

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  12. सुन्दर रचना

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  13. बहुत सुन्दर
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  14. जीवन में बहुत कुछ घटित होता रहता है जिसका संज्ञान हमारा मन-मस्तिष्क कभी लेता है कभी नहीं किंतु सृजन की सूक्ष्म दृष्टि में जो अवलोकन का विराट पैमाना है वह उसे ज़रूर दर्ज़ करता है भावों और प्रकृति के स्पंदन को मिलाकर। आपका कल्पनालोक सचमुच अदभुत है जहां एहसासों को मिलती है सुकूनभरी साँस।

    कलात्मकता के फेर में भाव अधूरे से लगते हैं जिन्हें पूर्णता मिलनी ही चाहिए।

    वव वर्ष की मंगलकामनाऐं।

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  15. बहुत खूब
    लाजवाब रचना

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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