हाँ,मैं ख़्वाब लिखती हूँ
अंतर्मन के परतों में दबे
भावों की तुलिका के
नोकों से रंग बिखेरकर
शब्द देकर
मन के छिपे उद्गगार को
मैं स्वप्नों के महीन जाल
लिखती हूँ।
श्वेत श्याम भावों के
स्याह-उजले रंग से
पोते गये हृदय के
रंगहीन दीवारों पर
सजाकर चटकीले रंगों को
बनाये गये 'मुखौटे'के भीतर कैद
उन्मुक्त आकाश की उड़ान,
ललचाई आँखों से
चिडि़यों के खुले पंख देखती
आँखों के सारे
मैं राज़ लिखती हूँ।
शून्य में तैरते बादलों के परों से
चाँद के पथरीले जमीं पर
चाँदनी के वरक लगाकर
आकाशगंगा की गहराई में उतर
झुरमुटों के जुगनू के जाले देखती
मौन पेड़ों से बतियाते
चकोर की व्यथा की दर्द भरी
मैं तान लिखती हूँ।
यथार्थ की धरातल पर खड़ी
पत्थरों की इमारतों के
सीने में मशीन बने
स्पंदनहीन इंसानों के
अंतर के छुपे मनोभावों के
बूँद-बूँद कतरों को
एहसास की मोतियों में पिरोकर
मैं अनकहा हाल लिखती हूँ।
चटख कलियों की पलकों की
लुभावनी मुस्कान
वादियों के सीने से लिपटी
पर्वतशिख के हिमशिला में दबी
धड़कते सीने के शरारे से
पिघलती निर्मल निर्झरी
हर दिल का पैगाम सुनती हूँ
हाँ,मैं ख्वाब लिखती हूँ।
#श्वेता🍁

सच, आपकी कविता भावो की अनुपम तूलिका होती है जिसमें आप चुन चुन कर शब्दों के रंग बिखेरती हैं.
ReplyDeleteहर कविता सजग कलाकार की उत्कृष्ट कला का प्रतीक होती है .
आप हमेशा ऐसे ही लिखती रहें और आज के साहित्य को समृद्ध करती रहें.
शुभकामनायें
सादर
बहुत बहुत आभार आपका.अपर्णा जी,आपकी स्नेहासिक्त प्रतिक्रिया लेखनी में नयी ऊर्जा भर गयी। तहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत सारा।
Deleteहाँ,मैं ख़्वाब लिखती हूँ
ReplyDeleteअंतर्मन के परतों में दबे
भावों की तुलिका के
नोकों से रंग बिखेरकर
शब्द देकर
मन के छिपे उद्गगार को
मैं स्वप्नों के महीन जाल
लिखती हूँ।
आपकी सुदृढ लेखनी से निकली इस नायाब रचना से मन आह्लादित हो गया। सदा निर्मल धार निकलती रहे आपके लेखनी से। बधाई।
जी,आदरणीय p.k ji,
Deleteआपकी सराहना और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया ने मन मुदित कर दिया सदैव आभारी रहेगे आपके निरंतर सहयोग के लिए।
खूब उडाओ स्वेत कबूतर
ReplyDeleteतुम निंदिया संग ख्वाबो मे
मन के पाँखी आज उडो तुम
आकाशो के सागर मे
पर ख्वाबो मे जाओ तुम
झोपडियो के आंगन मे
जहाँ मिलेगी ममता रोती
दर्द दबाये सीने मे
इक बूंद दूध के प्यासे बच्चे
रोते देखो आंगन मे
दो आमंत्रण आज आँसूओ को
तुम भी अपनी आँखो मे
खूब उडाओ - - -
प्रणाम चाचाजी,
Deleteसादर नमन।
आपकी लेखनी से सतत प्रवाहित आशीष मिला,अत्यंत प्रसन्नता हुई।
आभार,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
बेहद खूबसूरत भावों कों शब्दों की माला में पिरोती हैं आप. लाजवाब और बेहतरीन रचना श्वेता जी .
ReplyDeleteअति आभार आपका मीना जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteअच्छा शब्चित्र खींचा है आपने
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका संजय जीः
Deleteअन देखे अन कहे अहसासों को महसूस करती हूं,
ReplyDeleteहृदय स्पंदन से हर हाल लिखती हूं।
हां सच यह लेखनी शब्द नही चित्र लिखती है निर्जीव नही सजीव साकार लिखती है।
अतुलनीय सुंदर काव्य मर्मज्ञ और सार्थक।
शुभ संध्या।
बहुत-बहुत आभार दी,आपने सदैव बहुत मनोबल बढ़ाया है आपके स्नेह आशीष और सहयोग के बिना ये सब कभी संभव नहीं था। कृपया,अपनी छत्रछाया बनाये रखें दी।
Deleteआपने भावों को बहुत उम्दा शब्दों का वसन दिया है.
ReplyDeleteबधाई.
अति आभार आपका आदरणीय रंगराज सर,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपके आशीष का।
Deleteबहुत खूबसूरत शब्दों का जाल... बधाई हो स्वेता जी आपकी हर रचना खुद में सम्मोहन समेटे हुए है। जितना भी पढ़ती हुं और ज्यादा कविता की गहराई में उतरती चली जाती हुं।
ReplyDeleteप्रिय अनु जी,आपके नेह के लिए आभार कैसे कहे,आपकी प्रतिक्रिया किसी भी रचनाकार की लेखनी में जोश भरने में कामयाब है।
Deleteआपका साथ बना रहे यही कामना है।
अति आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका।
बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका रिंकी जी।
Deleteप्रिय श्वेता जी -- ख्वाबों की खूबसूरत इबारत का आपसे बढ़कर कोई चितेरा कहाँ ? हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteप्रिय रेणु जी,
Deleteअति आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया।
ख़्वाब रचना तब भी आसान है शायद ख़्वाब पूरे से।
प्रिय श्वेता बहन इन ख्वाबों की ताबीर हो --यही दुआ है |
Deleteअनूठा ख्वाब लिखते रहें हम ख्वाब की इस धारा में गोता लगाते रहेंगे। सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं.तहेदिल से शुक्रिया आपका p.k ji.आपका बहूमूल्य साथ बना रहे।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteअत्यंत आभार एनं तहेदिल से शुक्रिया सर।
Deleteनायाब रचना
ReplyDeleteगहराई में उतरती बेहद खूबसूरत रचना
शुभकामना
बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका नीतू जी।
Deleteआप खुबसूरत ख्वाब लिखती हैं....जब जांगु तो हर शुं इन ख्वाबो के रेशे नजर आते हे ...युं ही कलम का जादुई बनाएं रखें.... शुभ दिवस।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एधं तहेदिल से शुक्रिया आपका अनु जी।
Deleteबेहतरीन कविता
ReplyDeleteएक एक लफ्ज़ दिल की गहराई में उतरता जाता है
बहुत बहुत आभार एधं तहेदिल से.शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Delete
ReplyDeleteवाह ! अति सुंदर !
ख़्वाब की भावभूमि और जीवन से उनका सरोकार स्पष्ट करती उत्कृष्ट रचना। ख़्वाब चाहे जागते हुए देखें जाएँ या सोते हुए बस ख़्वाब तो ख़्वाब हैं जोकि जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित करते हैं।
ख़्वाब जीवन में गति और उल्लास के आलंबन हैं इसलिए ख़्वाबों के बिना जीवन अधूरा-सा है। केवल ख़्वाब ही जीवन में सब कुछ नहीं होते लेकिन इनके परे जीवन ख़ाली-सा लगता है। साहित्य में ख़्वाबों को पर्याप्त स्थान मिला है। जीवन में अनुभूति और स्पंदन ख़्वाब के साथ मिलकर हमें ऊर्जावान बनाये रखते हैं और ज़िन्दगी ने ताज़गी और रंग से भरा सुकून सजाये रखते हैं। ख़्वाब के भरम और हक़ीक़त संसार को बताने लिखते रहिये ख़ूब जीभर कर ख़्वाब.....
बधाई एवं शुभकामनाऐं श्वेता जी।
आदरणीय रवींद्र जी,
Deleteआपकी प्रतिक्रिया सदैव सही राह दिखलाती है। आपके बहूमूल्य सुझाव और ऊर्जावान प्रतिक्रिया का साथ निरंतर बना रहे यही कामना करती हूँ।
बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका तहेदिल से,आपकी शुभकामनाएँ सदैव अपेक्षिय है।
वाह ! सुंदर ! अति सुंदर प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteअति आभार आपका सर,तहेदिल से.शुक्रिया बहुत सारा।
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका ओंकार जी।
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/12/47.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय राकेव जु,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteख्वाब लिखते रहें....ऐसी ही खूबसूरत रचनाओं के रूप में ! अनूठा शब्द शिल्प है आपका । रचना स्वयं मूर्त रूप होकर सामने आ खड़ी होती है ! शुभकामनाएँ श्वेता जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं हृदयतल से अत्यंत शुक्रिया आपका मीना जी,आपकी सुंदर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया ने मन.प्रसन्न कर दिया कृपया साथ बनाये रखे सदैव।सस्नेह
Deleteबेहद ही खूबसूरत रचना। मैने इसे कई बार पढा।
ReplyDelete"...आँखों के सारे
मैं राज़ लिखती हूँ।"
वाह!
बहुत बहुत आभार एवं हृदयतल से शुक्रिया आपका प्रकाश जी।
Deleteमित्र-मंडली के एक सदस्य ने आपकी रचना को अपनी टिप्पणी विशेष उल्लेख किया है। पढ़ने के लिए लिंक क्लिक करें।
ReplyDeletehttps://plus.google.com/107907174747489535648/posts/YwyymS3mM1g
बहुत बहुत आभार आपका राकेश जी।
Deleteअति आभार आपका आदरणीय सर,आपके प्रोत्साहन के लिए। सदैव आपके आशीष का प्रसाद मिलता रहे यही कामना है।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteकमाल के ख्वाब लिखती हैं आप श्वेता जी !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ,लाजवाब....
वाह!!!
सच कहु तो आप हर लाइन में इतना गहरा एहसास डाल देती हो कि लगता है जैसे आप अपने दिल का सारा आसमान खुलकर दिखा रही हो। आप ख्वाबों को सिर्फ लिखती नहीं, उन्हें जीती भी है। आपकी लिखावट दिल के भीतर वो जगह छूती है जहाँ लोग अक्सर झाँकने से डरते हैं।
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