Thursday, 27 September 2018

तुम खुश हो तो अच्छा है


मन दर्पण को दे पत्थर की भेंट
तुम खुश हो तो अच्छा है
मुस्कानों का करके गर आखेट
तुम खुश हो तो अच्छा है

मरु हृदय में ढूँढता छाया
तृण तरु झुलसा दृग भर आया
सींच अश्रु से "स्व" के सूखे खेत
तुम खुश हो तो अच्छा है

कोरे कागद व्यथा पसीजी
बाँच प्रीत झक चुनरी भींजी
बींधें तीर-सी प्रखर शब्द की बेंत
तुम खुश हो तो अच्छा है

मन लगी मेंहदी गहरी रची
उलझी पपनियों से वेदना बची  
उपहास चिकोटी दे मर्म संकेत
तुम खुश हो तो अच्छा है

मन मेरे यूँ विकल न हो
लोलुप प्रीत भ्रमर न हो
प्रीत पात्र में देकर कुछ पल भेंट
तुम खुश हो तो अच्छा है

-श्वेता सिन्हा


शब्द अर्थ
पपनियों=पलकों

24 comments:

  1. बहुत खूब श्वेता बहन 👌

    मन लगी मेंहदी गहरी रची
    उलझी पपनियों से वेदना बची

    मन मोह गई पंक्ति

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    1. सादर आभार अनिता जी:)

      हृदयतल से बेहद शुक्रिया आपका।

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  2. वाहह.. खूबसूरत भावप्रवण रचना..

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  3. वाह !!!बहुत सुन्दर रचना। लाजवाब भाव।
    लिखते रहिये। बहुत सारी शुभकामनाएं

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  4. सुंदर भावों से सजी बेहतरीन रचना

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  5. मन दर्पण को दे पत्थर की भेंट
    तुम खुश हो तो अच्छा है
    मुस्कानों का करके गर आखेट
    तुम खुश हो तो अच्छा है


    वाह बहुत सुंदर।पहली ही lines बहुत अच्छी हैं।

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    1. सारी कविता बहुत अच्छी हैं।खासकर पहली लाइन्स बहुत भा गयी मनको।

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  6. मन मेरे यूँ विकल न हो
    लोलुप प्रीत के भ्रमर न हो
    प्रीत पात्र में देकर कुछ पल भेंट
    तुम खुश हो तो अच्छा है

    भाव भी है तो घाव भी, प्रीति है तो जुदाई भी,

    दर्द जो दूर न हो, तो विकल्प भी, मेरी दृष्टि से चाहत संग वैराग्य भी।

    आभार आपका यह कविता मुझे तो बहुत पंसद आई श्वेता जी

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  7. वाहः वाहः वाहः

    बेहद खूबसूरत अशआर

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  8. घनीभूत अंतर्वेदना का आर्तनाद!!!

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  9. कोरे कागद व्यथा पसीजी
    बाँच प्रीत झक चुनरी भींजी
    बींधें तीर-सी प्रखर शब्द की बेंत
    तुम खुश हो तो अच्छा है
    हमेशा की तरह बहुत लाजवाब कृति श्वेता जी।
    वाह!!!

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  10. मरु हृदय में ढूँढता छाया
    तृण तरु झुलसा दृग भर आया
    सींच अश्रु से "स्व" के सूखे खेत
    तुम खुश हो तो अच्छा है..

    शब्दातीत कलमकारी। बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना श्वेता जी। वाह

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  11. मन मेरे यूँ विकल न हो
    लोलुप प्रीत भ्रमर न हो
    प्रीत पात्र में देकर कुछ पल भेंट
    तुम खुश हो तो अच्छा है .....सुंदर रचना

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  12. कोरे कागद व्यथा पसीजी
    बाँच प्रीत झक चुनरी भींजी
    बींधें तीर-सी प्रखर शब्द की बेंत
    तुम खुश हो तो अच्छा है!!!!!!!
    बहुत खूब प्रिय श्वेता !!!!!!!! एक -एक शब्द मन की पीड़ा का द्योतक है | सुंदर रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई ओर प्यार |

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  13. वाह!!श्वेता ,बहुत सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना ।

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  14. मन दर्पण को दे पत्थर की भेंट
    तुम खुश हो तो अच्छा है
    मुस्कानों का करके गर आखेट
    तुम खुश हो तो अच्छा है...

    बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय श्वेता जी।

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  15. श्वेता जी
    ब्लॉग पर आग ही लगा रखी है.
    आपकी ये रचना पढ़ कर 2-4 शेर बहुत याद आये
    इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया
    दर्द की दवा पाई, दर्दे-बे-दवा पाया.

    चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
    दर्द बदनाम तो नहीं होगा
    हाँ दवा दो मगर ये बतला दो
    मुझ को आराम तो नहीं होगा ...

    दर्द मिन्नत कशे-दवा न हुआ
    मै न अच्छा हुआ,बुरा न हुआ

    जो मिला उसमें खुश ..बेहद उम्दा रचना.
    रंगसाज़

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    1. बहुत कमाल के शेर याद दिया दिए जनाब

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  16. बहुत सुन्दर रचना..

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  17. वाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।

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  18. श्वेता,मन की पीड़ा को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया है आपने। बहुत सुंदर👌👌

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  19. अप्रतिम अभिराम!!!
    हर रचना नये प्रतिमान स्थापित कर रही है आपकी हर रचना पहले से बेहतर और सराहना से परे, काव्य और भाव सभी अद्वितीय।
    अमीर खुसरो साहब का एक बंद आपकी रचना के नाम

    4. सोना-लेने पीऊ गए, सूना कर गये देस!
    सोना मिला न पीऊ फिरे, रूपा हो गये केस!!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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