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Thursday, 27 September 2018

तुम खुश हो तो अच्छा है


मन दर्पण को दे पत्थर की भेंट
तुम खुश हो तो अच्छा है
मुस्कानों का करके गर आखेट
तुम खुश हो तो अच्छा है

मरु हृदय में ढूँढता छाया
तृण तरु झुलसा दृग भर आया
सींच अश्रु से "स्व" के सूखे खेत
तुम खुश हो तो अच्छा है

कोरे कागद व्यथा पसीजी
बाँच प्रीत झक चुनरी भींजी
बींधें तीर-सी प्रखर शब्द की बेंत
तुम खुश हो तो अच्छा है

मन लगी मेंहदी गहरी रची
उलझी पपनियों से वेदना बची  
उपहास चिकोटी दे मर्म संकेत
तुम खुश हो तो अच्छा है

मन मेरे यूँ विकल न हो
लोलुप प्रीत भ्रमर न हो
प्रीत पात्र में देकर कुछ पल भेंट
तुम खुश हो तो अच्छा है

-श्वेता सिन्हा


शब्द अर्थ
पपनियों=पलकों

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...