Wednesday, 27 December 2023

यादों की पोटली से....


ताजमहल

समेटकर नयी-पुरानी 

नन्हीं-नन्हीं ख्वाहिशें,

कोमल अनछुए भाव,

पाक मासूम एहसास,

कपट के चुभते काँटे

विश्वास के चंद चिथड़़े,

अवहेलना की  गूंज...

और कुछ रेशमी सतरंगी

तितलियों से उड़ते ख़्वाब,

बार-बार मन के फूलों

पर बैठने को आतुर,

कोमल, नाजुक

खुशबू में लिपटे हसीन लम्हे,

जिसे छूकर महकती है

दिल की बेरंग दीवारें,

जो कुछ भी मिला है

तुम्हारे साथ बिताये,

उन पलों को बाँधकर

वक़्त की चादर में 

नम पलकों से छूकर,

दफ़्न कर दिया है

पत्थर के पिटारों में,

और मन के कोरे पन्नों

पर लिखी इबारत को

सजा दिया है भावहीन

खामोश संगमरमर के

स्पंदनविहीन महलों में,

जिसके ख़ाली दीवारों पर

चीख़ती हैं उदासियाँ,

चाँदनी रातों में चाँद की

परछाईयों में बिसूरते हैं

सिसकते हुए ज़ज्बात,

कुछ मौन संवेदनाएँ हैं

जिसमें तुम होकर भी

कहीं नहीं हो सकते हो,

ख़ामोश वक़्त ने बदल दिया

सारी यादों को मज़ार में,

बस कुछ फूल हैं इबादत के

नम दुआओं में पिरोये

जो हर दिन चढ़ाना नहीं भूलती

स्मृतियों के उस ताजमहल में।


-श्वेता

9 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 28 दिसंबर 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. कुछ मौन संवेदनाएँ हैं
    जिसमें तुम होकर भी
    कहीं नहीं हो सकते हो,
    ख़ामोश वक़्त ने बदल दिया
    सारी यादों को मज़ार में,
    अप्रतिम....
    सादर

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  3. बस कुछ फूल हैं इबादत के
    नम दुआओं में पिरोये
    जो हर दिन चढ़ाना नहीं भूलती
    स्मृतियों के उस ताजमहल में।
    अप्रतिम एवं भावपूर्ण रचना श्वेता जी !

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  4. वाह! श्वेता ,बहुत खूब!

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  5. इबादत के फूल कभी बासी नहीं होते, सदा ही ताज़ा रहती है उनकी ख़ुशबू, भावपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई श्वेता जी !

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  6. बस कुछ फूल हैं इबादत के

    नम दुआओं में पिरोये

    जो हर दिन चढ़ाना नहीं भूलती

    स्मृतियों के उस ताजमहल में।

    एक एक शब्द दिल को छू गई श्वेता ने जी🙏

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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