Thursday, 30 November 2023

सर्दी का एक दिन


सर्दियों की अंधेरी भोर में
ठंडी हवा कराह रही है,
पृथ्वी लोहे की तरह कठोर है,
पानी पत्थर की तरह;
जिसके हल्के से छू भर जाने से
देह सिहरने लगा और
उंगलियाँ बेहोश होने लगी,
बहुत देर के बाद सूरज के छींटों से होश आया...
मूँगफली का सोंधापन,
मटर की छीमियों की मिठास 
अगींठी के इर्द-गिर्द 
 स्मृतियों की खोई कड़ियों को चुनता 
एक उनींदा दिन;
पलक झपकते ही
गुलाबी दुशाल लपेटकर 
गुलाब,गुलदाउदी ,गेंदा की क्यारियों से
तितलियों,भौंरों के परों पर उड़ता हुआ
केसरी होकर साँझ के स्याह कजरौटे
 में समा जाता है।


- श्वेता सिन्हा

7 comments:

  1. मोसम सामने से गुज़र गया ... लजवाब ...

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  2. शोध-कार्य हेतु आपसे बात करनी थी I कृपया संपर्क क्रमांक मिले तो बात हो सकेगी I

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  3. उनींदा दिन साँझ के स्याह कजरौटे में समा गया...
    सूरज के छींटों से होश आना !
    बहुत ही लाजवाब....
    कमाल का सृजन
    वाह!!!

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  4. मूँगफली की सौंधी महक ,मटर की मिठास.., अंगीठी पर हाथ तापने का अहसास कुनकुनी धूप जैसा लगा । बहुत सुंदर शब्द चित्र !!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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