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Wednesday, 27 June 2018

गीत सुनो


दुःख,व्यथा,क्षोभ ही नहीं भरा
बस विरह, क्रोध ही नहीं धरा
मकरंद मधुर उर भीत सुनो
जीवन का छम-छम गीत सुनो

ज्वाला में जल मिट जाओगे
गत मरीचिका आज लुटाओगे
बनकर मधुप चख लो पराग
कुछ क्षण का सुरभित रंग-राग
अंबर से झरता स्नेहप्रीत सुनो
कल-कल प्रकृति का गीत सुनो

क्यूँ उर इतना अवसाद भरा?
क्यूँ तम का गहरा गाद भरा?
लाली उषा की,पवन का शोर
छलके स्वप्न दृग अंजन कोर
घन घूँघट चाँदनी शीत सुनो
टिम-टिम तारों का गीत सुनो

इस सुंदर जीवन से विरक्ति क्यों?
कड़वी इतनी अभिव्यक्ति क्यों?
मन अवगुंठन,हिय पट खोलो तुम
खग,तितली,भँवर संग बोलो तुम
न मुरझाओ, मनवीणा मनमीत सुनो
प्रेमिल रून-झुन इक गीत सुनो

--श्वेता सिन्हा

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...