1)
लड़ियाँ नेह के धागों वाली,
झड़ियाँ हँसी ठहाकों वाली।
जगमग घर का कोना-कोना,
कलियाँ मन के तारों वाली।
रंग-रंगीली सजी रंगोली,
गुझिया मीठे पागों वाली।
घर-आँगन दमके चौबारा,
गलियाँ अल्हड़ साजों वाली।
एक दीवाली दिल को जोड़े,
खुशियाँ दिल के रागों वाली।
पूजन मात-पिता के प्रेम का
सखियाँ बहना भाबो वाली।
दीप जला ले प्रेमिल मन से,
बतियाँ हृदय के तागों वाली।
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2)
इतराई निशा पहनकर
झिलमिल दीपक हार
आया है जगमग जगमग
यह दीपों का त्योहार
रंगोली सतरंग सुवासित
बने गेंदा चमेली बंदनवार
किलके बालवृंद घर आँगन
महकी खुशियाँ अपरम्पार
मिट जाये तम जीवन से
लक्ष्मी माँ दे दो वरदान
हर लूँ निर्धनता हर घर से
हर होंठ खिले मुस्कान
भर भरकर मुट्ठी तारों से
भरना उन बाड़ी बस्ती में
दिन का सूरज भी न पहुँचे
निकले चाँद भी कश्ती में
इस दीवाली बन जाऊँ दीया
फैलूँ प्रकाश बन सपनों की
विहसे मुख मलिन जब किलके
मैं साक्षी बनूँ उन अपनों की
#श्वेता🍁