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Tuesday, 5 February 2019

विश्लेषण



कभी सोचा न हो तो

सोचना जरूर
बहुत ज्यादा विश्लेषण
छानबीन करती नजरें
जरूरत से ज्यादा जागरुकता
कहीं खत्म न कर दे
आपके प्रिय संबंधों की
आत्मीयता
क्या ये सच नहीं कि
बातों ही बातों में
कभी अलमस्ती में
निभ जाते है
कई प्रगाढ़ रिश्ते
संबंध कोई मासिक किस्त
तो नहीं न
जो समय पर न भरो
तो फायदा न मिलेगा
कुछ बातें जो चुभती हो
किसी अपने की
कभी उनको नजरअंदाज़
कर मुसकुरा दो
खिल उठेगे नये कोंपल
फिर से स्नेह के
बंधनों की किताब में
जरुरत से ज्यादा
गलतियाँ ढूँढ़ना
ख़तरनाक है
रिश्तों के लिए।
     #श्वेता


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