टूटकर फूल शाखों से झड़ रहे है
ठाठ जर्द पत्तों के उजड़ रहे है
भटके परिंदे छाँव की तलाश में
नीड़ो के सीवन अब उधड़ रहे है
अंजुरी में कितनी जमा हो जिंदगी
बूँद बूँद पल हर पल फिसल रहे है
ख्वाहिशो की भीड़ से परेशान दिल
और हसरत आपस में लड़ रहे है
राह में बिछे फूल़ो का नज़ारा है
फिर आँख में काँटे कैसे गड़ रहे है
#श्वेता🍁
ठाठ जर्द पत्तों के उजड़ रहे है
भटके परिंदे छाँव की तलाश में
नीड़ो के सीवन अब उधड़ रहे है
अंजुरी में कितनी जमा हो जिंदगी
बूँद बूँद पल हर पल फिसल रहे है
ख्वाहिशो की भीड़ से परेशान दिल
और हसरत आपस में लड़ रहे है
राह में बिछे फूल़ो का नज़ारा है
फिर आँख में काँटे कैसे गड़ रहे है
#श्वेता🍁