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Monday, 21 October 2019

अधिकार की परिभाषा

परिभाषा
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जब देखती हूँ 
अपनी शर्तों पर
ज़िंदगी जीने की हिमायती
माता-पिता के
प्रेम और विश्वास को छलती,
ख़ुद को भ्रमित करती,
अपनी परंपरा,भाषा और संस्कृति 
को "बैकवर्ड थिंकिंग" कहकर
ठहाके लगाती
नीला,लाल,हरा और
किसिम-किसिम से
रंगे कटे केश-विन्यास
लो जींस और टाइट टॉप
अधनंगें कपड़ों को आधुनिकता का
प्रमाण-पत्र देती
उन्मुक्त गालियों का प्रयोग करती
सिगरेट के छल्ले उड़ाती
आर्थिक रुप से सशक्त,
आत्मनिर्भर होने की बजाय
यौन-स्वच्छंदता को आज़ादी
का मापदंड मानती
अपने मन की प्रकृति प्रदत्त
कोमल भावनाओं
को कुचलकर
सुविधायुक्त जीवन जीने
के स्वार्थ में
अपने बुज़ुर्गों के प्रति
संवेदनहीन होती
लड़कों के बराबरी की
 होड़ में दिशाहीन
 आधा तीतर आधा बटेर हुई
 बेटियों को देखकर
 सोचती हूँ
आख़िर हम अपने
किस अधिकार की
लड़ाई की बात करते हैं?
क्या यही परिभाषा है
स्त्रियों की
आज़ादी और समानता की?

#श्वेता सिन्हा

हस्ताक्षर पत्रिका के मार्च अंक में प्रकाशित।
https://www.hastaksher.com/rachna.php?id=2293


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