सुरमई रात के उदास चेहरे पे
कजरारे आसमां की आँखों से
टपकती है लड़ियाँ बूँदों की
झरोखे पे दस्तक देकर
जगाती है रात के तीसरे पहर
मिचमिचाती पीली रोशनी में
थिकरती बरखा घुँघरू सी
सुनसान राहों से लगे किनारों पे
हलचल मचाती है बहती नहर
पीपल में दुबके होगे परिंदें
कैसे रहते होगे तिनकों के घर में
खामोश दरख्तों के बाहों में सोये
अलसाये है या डरे किसको खबर
झोंका पवन का ले आया नमी
छू रहा जुल्फों को हौले हौले
चूमकर चेहरे को सिहराये है तन
पूछता हाल दिल का रह रह के
सिलवटें करवटों की बेचैनी में
बीते है रात की तीसरी पहर
#श्वेता🍁
कजरारे आसमां की आँखों से
टपकती है लड़ियाँ बूँदों की
झरोखे पे दस्तक देकर
जगाती है रात के तीसरे पहर
मिचमिचाती पीली रोशनी में
थिकरती बरखा घुँघरू सी
सुनसान राहों से लगे किनारों पे
हलचल मचाती है बहती नहर
पीपल में दुबके होगे परिंदें
कैसे रहते होगे तिनकों के घर में
खामोश दरख्तों के बाहों में सोये
अलसाये है या डरे किसको खबर
झोंका पवन का ले आया नमी
छू रहा जुल्फों को हौले हौले
चूमकर चेहरे को सिहराये है तन
पूछता हाल दिल का रह रह के
सिलवटें करवटों की बेचैनी में
बीते है रात की तीसरी पहर
#श्वेता🍁